The Greatest Guide To Shodashi
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Tripura Sundari's form is not just a visual representation but a map to spiritual enlightenment, guiding devotees via symbols to be aware of further cosmic truths.
The Mahavidya Shodashi Mantra supports psychological balance, advertising therapeutic from earlier traumas and inner peace. By chanting this mantra, devotees discover release from unfavorable feelings, acquiring a well balanced and resilient mentality that can help them experience everyday living’s problems gracefully.
॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
Quite possibly the most revered among the these could be the 'Shodashi Mantra', which happens to be mentioned to grant each worldly pleasures and spiritual liberation.
Within the spiritual journey of Hinduism, Goddess Shodashi is revered like a pivotal deity in guiding devotees in direction of Moksha, the final word liberation through the cycle of start and Loss of life.
यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।
She is definitely the in the shape of Tri electric power of evolution, grooming and destruction. Total universe is shifting underneath her ability and destroys in cataclysm and again get rebirth (Shodashi Mahavidya). By accomplishment of her I got this area and for this reason adoration of her is the greatest just one.
सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।
या देवी हंसरूपा भवभयहरणं साधकानां विधत्ते
हन्तुं दानव-सङ्घमाहव भुवि स्वेच्छा समाकल्पितैः
Philosophically, she symbolizes the spiritual journey from ignorance to enlightenment which is related to the supreme cosmic electricity.
The reverence for Tripura Sundari transcends mere adoration, embodying the collective aspirations for spiritual growth plus the attainment of worldly pleasures and comforts.
सा देवी कर्मबन्धं मम भवकरणं नाश्यत्वादिशक्तिः ॥३॥
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर here लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।